Motivational Poems in Hindi about Success

Motivational Poems on Success in Hindi
Poem on success and hard work in Hindi - Apni manjil ki taraf jee jaan se dodtey dodtey hum sabhi ko bhot sari mushkilo, Asafalta, or Nirasha ka saamna krna padta h. Par ye humey pta hona chahiye ki jab ye sab cheezein honey lgey iska artha ye hota h ki hum shi raastey par h or agr hum apna junoon or apni andar ki aag ko fir se nikharey to maanjil k karib hum pahuch jayngey.
To apki is safalta k safar mei Alphamindset4life apka junoon ayam rkhney k liye or safalta ki wo bhukh apkey andar jagaye rkhney k liye lekar aya h hindi poems on life for students or inspirational quotes poems in Hindi . In motivational poems in hindi for students ko padhkar agar apkey rongtey khadey na hua to comment kr dena.
Enjoy these kamyabi kavita in hindi and Share with your friends.
Inspirational sports poems in Hindi
1.ज़मीर ज़िंदा रख…कबीर ज़िंदा रख
सुल्तान भी बन जाए तो दिल में फ़कीर ज़िंदा रख
हौंसले के तरकश में कोशिश का वो तीर ज़िंदा रख
हार जा चाहे ज़िन्दगी में सब कुछ
मगर फिर से जीतने की उम्मीद ज़िंदा रख
2. दुनिया का हर शौक पाला नहीं जाता,
कांच के खिलोनो को हवा में उछाला नहीं जाता
मेहनत करने से मुश्किलें हो जाती है आसान
क्यूंकि हर काम तकदीर पे टाला नहीं जाता
3. परिंदो को मिलेगी मंज़िल एक दिन
ये फैले हुए उनके पर बोलते है
और वही लोग रहते है खामोश अक्सर
ज़माने में जिनके हुनर बोलते है
4. चले हैं जिस सफ़र पर उसका कोई अंजाम तो होगा
जो हौंसला दे सके ऐसा कोई जाम तो होगा,
जो दिल में ठान ही ली है कामयाबी को अपना बनाने की
तो कोई न कोई इंतजाम तो होगा।
5. तुम मन की आवाज सुनो,
जिंदा हो, ना शमशान बनो,
पीछे नहीं आगे देखो,
नई शुरुआत करो।
मंजिल नहीं, कर्म बदलो,
कुछ समझ ना आए,
तो गुरु का ध्यान करो,
तुम मन की आवाज सुनो।
Inspiring short Hindi poems
6. बैठ जाता हू मिट्टी पर अक्सर क्योंकि मुझे अपनी औकात अच्छी लगती है,
मैंने समुन्दर से सीखा है, जीने का सलीखा।
चुपचाप से बहना और अपनी मौज में रहना,
ऐसा नहीं है कि मुझमे कोई ऐब नहीं है,
पर सच कहता हू मुझमे कोई फरेब नहीं है।
जल जाते है मेरे अंदाज से मेरे दुश्मन,
7. जो किसी के गम का ना हुआ
वह किसी की खुशी का क्या होगा
जब एक भगवान का ना हुआ
तो एक इंसान का क्या होगा
यूं तो सब को सब कुछ चाहिए
लेकिन जो मिल गया उसका ना हुआ
8. मैं समय बर्बाद करता।?
प्रायशः हित-मित्र मेरे
पास आ संध्या-सबेरे,
हो परम गंभीर कहते–मैं समय बर्बाद करता।
मैं समय बर्बाद करता?
बात कुछ विपरीत ही है,
9. बैठ जाओ सपनों के नाव में,
मौके की ना तलाश करो,
सपने बुनना सीख लो।
खुद ही थाम लो हाथों में पतवार,
माझी का ना इंतजार करो,
सपने बुनना सीख लो।
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10. कभी न मेरे मन को भाया,
जब दुख मेरे ऊपर आया,
मेरा दुख अपने ऊपर ले कोई मुझे बचाए!
मैंने गाकर दुख अपनाए!
कभी न मेरे मन को भाया,
जब-जब मुझको गया रुलाया,
कोई मेरी अश्रु धार में अपने अश्रु मिलाए!
मैंने गाकर दुख अपनाए!

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11. क्यों डरे कि ज़िन्दगी में क्या होगा
हर वक्त क्यों सोचे कि क्या होगा
बढ़ते रहे बस मंजिलो की ओर
हमें कुछ मिले या ना मिले तजुर्बा तो नया होगा
12. ये मत सोचो कि तुम्हारे पास क्या नहीं है;
बल्कि, उसे सराहो जो तुम्हारे पास है और जो हो सकता है।
ये सोच कर दुखी मत हो कि तुम क्या नहीं हो;
बल्कि, ये सोच कर खुश हो कि तुम क्या हो और क्या बन सकते हो।
13. साँस चलती है तुझे
चलना पड़ेगा ही मुसाफिर!
चल रहा है तारकों का
दल गगन में गीत गाता,
चल रहा आकाश भी है
शून्य में भ्रमता-भ्रमाता,
पाँव के नीचे पड़ी
अचला नहीं, यह चंचला है,
14. तीर पर कैसे रुकूँ मैं, आज लहरों में निमंत्रण!
रात का अंतिम प्रहर है, झिलमिलाते हैं सितारे,
वक्ष पर युग बाहु बाँधे, मैं खड़ा सागर किनारे
वेग से बहता प्रभंजन, केश-पट मेरे उड़ाता,
शून्य में भरता उदधि-उर की रहस्यमयी पुकारें,
इन पुकारों की प्रतिध्वनि, हो रही मेरे हृदय में,
15. व्यर्थ उसे है ज्ञान सिखाना,
व्यर्थ उसे दर्शन समझाना,
उसके दुख से दुखी नहीं हो तो बस दूर रहो!
दुखी-मन से कुछ भी न कहो!
उसके नयनों का जल खारा,
है गंगा की निर्मल धारा,
पावन कर देगी तन-मन को क्षण भर साथ बहो!
दुखी-मन से कुछ भी न कहो!

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16. धरा हिला, गगन गुँजा
नदी बहा, पवन चला
विजय तेरी, विजय तेरी
ज्योति सी जल, जला
भुजा–भुजा, फड़क–फड़क
रक्त में धड़क–धड़क
धनुष उठा, प्रहार कर
तू सबसे पहला वार कर
17. नर हो, न निराश करो मन को
कुछ काम करो, कुछ काम करो
जग में रह कर कुछ नाम करो
यह जन्म हुआ किस अर्थ अहो
समझो जिसमें यह व्यर्थ न हो
कुछ तो उपयुक्त करो तन को
नर हो, न निराश करो मन को
18. लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती
नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है
चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है
चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है
आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती
19. वृक्ष हों भले खड़े,
हों बड़े, हों घने,
एक पत्र छाँह भी
मांग मत! मांग मत! मांग मत!
अग्निपथ! अग्निपथ! अग्निपथ!
तू न थकेगा कभी,
तू न थमेगा कभी,
तू न मुड़ेगा कभी,
20. मैं नीर भरी दु:ख की बदली!
स्पंदन में चिर निस्पंद बसा,
क्रन्दन में आहत विश्व हंसा,
नयनों में दीपक से जलते,
पलकों में निर्झरिणी मचली!
मेरा पग-पग संगीत भरा,
श्वासों में स्वप्न पराग झरा,
नभ के नव रंग बुनते दुकूल,
छाया में मलय बयार पली,

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